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हिताधिकारी की सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता योजना

हिताधिकारी की सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता योजना 2014(Labour Department Scheme of Accidental or Normal Death of Labour )




यह योजना राजस्थान सरकार के श्रम विभाग(Labour Department) की योजना है इस योजना का लाभ उन महिला/पुरुष  श्रमिको  को दिया जाता है जो श्रम विभाग मे  पंजीकृत श्रमिक(labour) हो  

हिताधिकारी  की सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता योजना की पात्रता:-


(1) 18 से 60 वर्ष की उम्र के निर्माण श्रमिक इस योजना के लिए पात्र होगें।

(2) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक जिनका धारा 12 के अन्तर्गत मण्डल में पंजीयन हो चुका है और जो अपना अंशदान नियमित रुप से जमा करवा रहे है। हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की समय-सीमा में 3 माह की शिथिलता होगी। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।


Procedure to avail the Scheme

(1) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिति/उत्तराधिकारी एवं घायल होने पर  
      स्वयं  हिताधिकारी संबंधित जिला श्रम कार्यालय में आवेदन (संलग्न प्रारुप) करेगा।
(2)

(a) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिंत/उत्तराधिकारी को 10,000/-रु0 की      
     अन्त्येष्टि सहायता आवेदन करने की दिनांक से 7 दिवस में दी जावेगी। यह राषि हिताधिकारी के  
     आश्रित/नामिति को क्षतिपूर्ति के रूप मे दी जाने वाली राषि में से ही देय होगी। मृत्युु के उपरान्त 
     संपन्न होने वाले सामाजिक रीतिरिवाजो एवं स्थानीय प्रथाओं के प्रति परिवार को जागरूक बनाए 
     जाने को दृष्टिगत रखते हुए परिवार की परिस्थितियों पर विचार किया जाकर दुर्घटना में मृत्यु की  
     दषा  में देय क्षतिपूर्ति राषि को एफडी मे जमा करवाये जाने के बारे में श्रम विभाग के जिलास्तरीय   
     कार्यालय मे पदस्थपित उच्चतम अधिकारी द्वारा विचार किया जायेगा।
(b)मृत्यु की दषा में सहायता राषि जिस आश्रित/नामांकित व्यक्ति को देय है, उसके द्वारा इस आषय का 
     एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि प्राप्त राषि का उपयोग मृतक हिताधिकारी के सभी आश्रितों 
      के हितार्थ किया जावेगा।
(3)
       हिताधिकारी के घायल होने पर सहायता राशि हिताधिकारी द्वारा आवेदन करने पर आवेदन  की 
       पूर्तियां सही पाए जाने पर 7 दिवस में स्वीकृत कर दी जायेगी।

(4) 
     हिताधिकारी की मृत्यु होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन मृत्य की तिथि से अधिकतम एक 
      वर्ष की अवधि में स्वीकार्य होंगे। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(5)
      हिताधिकारी द्वारा दुर्घटना में घायल होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन दुर्घटना तिथि या  
      अस्पताल से डिस्चार्ज होने की तिथि से अधिकतम 6 माह में किया जा सकेगा। (अधिसूचना दिनांक 
       21.09.2015 द्वारा संषोधित)।

(6)
      हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की निर्धारित एक वर्ष की समय  
      सीमा से 90 दिन तक का विलम्ब होने तक, योजना की अन्य शर्तें पूरी होने पर सहायता दी जा 
      सकेगी। यह षिथिलता भूतलक्षी प्रभाव से अर्थात् योजना प्रारंभ होने की तिथि से, ऐसे मामलों में भी 
      लागू होगी, जिनमेें आवेदन अंषदान जमा नहीं होने के कारण अस्वीकृत कर दिये गये हैं अथवा 
      विचाराधीन है। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा जोडा गया)।


Benefits of the Scheme

हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में (मृत्यु या घायल होने की दशा में) निम्नानुसार सहायता राशि दी जावेगीः- (1)दुर्घटना में मृत्यु होने पर रु. 5,00,000/- (2)दुर्घटना में स्थायी पूर्ण अपंगता होने पर रु. 3,00,000/- स्थायी पूर्ण अपंगता से तात्पर्य दुर्घटना में दो आंख या दोनों हाथ या दोनों पांव के अक्षम होने से है। (3)दुर्घटना में आंशिक स्थायी अपंगता होने पर रु. 1,00,000/- स्थायी आंशिक अपंगता से तात्पर्य एक आंख एक हाथ या एक पांव अक्षम होने से है।  (4)दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने पर रु0 20,000/- तक दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने से तात्पर्य हिताधिकारी के कम से कम 5  दिन तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती रहने से है। गंभीर रुप से घायल होने का निर्धारण मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर किया जावेगा। हड्डी टूटने की दशा में भर्ती होना आवश्क नहीं है केवल चिकित्सक दवारा कार्य करने में असमर्थता का प्रमाण पत्र ही पर्याप्त है  (5)दुर्घटना में साधारण रुप से घायल होने पर रु0 5000/- तक साधारण रुप से घायल होने से तात्पर्य 5 दिवस से कम अवधि तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती होने से है। 

Scheme Type

  1. Normal Death
  2. Injury in Accident 
  3. Death in Accident

घोषणा पत्र

1. (अ) नियोजक/सम्पत्ति मालिक द्वारा

HOUSE OWNER DECLARATION FORM



2. (ब) ठेकेदार द्वारा
CONTRACTOR DECLARATION FORM

3. (स) संस्थान/फर्म जो कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत पंजीकृत नहीं है एवं निर्माण संबंधी कार्यो में कार्यरत है।

FIRM DECLARATION FORM

4. (द) निर्माण श्रमिक यूनियन द्वारा
UNION DECLARATION FORM
How To Apply:
उपरोक्त स्कीम का आवेदन आप अपना अकाउंट https://sso.rajasthan.gov.in/ पर  Create कर LDMS पोर्टल से या नजदीकीemitra से कर सकते है



For More Information:-
योजना की अधिक जानकारी के लिए अधिकारिक वेबसाइट पर जाने के लिए क्लिक करे


------------------------------------------------------------------------Detail----------------------------------------------

प्रस्तावनाः- भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मंडल द्वारा हिताधिकारी की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता राशि दिये जाने के संबंध में तीन अलग अलग योजनाएं, समूह बीमा (जनश्री बीमा) योजना, दुर्घटना में (मृत्यु या घायल होने की दशा में) तत्काल सहायता योजना एवं मृत्यु की दषा में अन्त्येष्टि सहायता एवं अनुग्रह भुगतान योजना संचालित की जा रही है। इन योजनाओं की समान प्रकृति होने के कारण हिताधिकारी को उक्त योजनाओं में लाभ प्राप्त करने हेतु अलग-अलग आवेदन करने पडते है। अतः आवेदन में होने वाले असुविधा को समाप्त कर प्रक्रिया को सरल एवं सुगम बनाने के उद्देष्य से वर्तमान में संचालित तीनो योजनाओं को सम्मिलित करते हुये उपरोक्त शीर्षक से एक ही योजना बनाये जाने का निर्णय मण्डल द्वारा लिया गया है।
1.(प) यह योजना राजस्थान भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल में पंजीकृत ‘‘हिताधिकारी के लिए
सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना मंें (मृत्यु या घायल होने की दशा में) सहायता योजना‘‘ कहलायेगी।
(पप) यह योजना सम्पूर्ण राजस्थान में प्रभावी होगी।
(पपप) यह योजना भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्तो का विनियमन) अधिनियम, 1996 की धारा 22(1) (क) सपठित राजस्थान नियम 2009 के नियम 57 व 58 के अन्तर्गत दिनांक 31.03.2013 से लागू होगी।
(पअ) यह योजना उन भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकारों पर प्रभावशील होगी जो भवन एवं अन्य संनिर्माण कार्यो में नियोजित है तथा अधिनियम की धारा 12 के अन्तर्गत हिताधिकारी के रूप में पंजीकृत है तथा उन्हे मण्डल द्वारा परिचय पत्र जारी किया गया है और वे अपना अंशदान नियमित रुप से जमा करवा रहे है।


(2) परिभाषाएंः- इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(प) ‘‘अधिनियम’’ से भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्तो का विनियमन) अधिनियम 1996 (1996 का 27) से अभिप्रेत है।
(पप) ‘‘बोर्ड’’ से अधिनियम की धारा 18 की उप-धारा (1) के तहत गठित भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड अभिप्रेत है।
(पपप) ‘‘सचिव’’ से अधिनियम की धारा 18 की अधीन नियुक्त बोर्ड के सचिव से अभिप्रेत है।
(पअ) ‘‘दुर्घटना’’ से तात्पर्य कार्य के दौरान, कार्य स्थल से घर आते समय, कार्य स्थल से घर जाते समय अथवा किसी भी रुप में हिताधिकारी निर्माण श्रमिक के दुर्घटनाग्रस्त होने से है।
(अ) ‘‘आश्रित’’ से आशय ऐसे पंजीकृत हिताधिकारी निर्माण श्रमिक का निम्नानुसार कोई भी रिश्तेदार आश्रित माना जावेगा-
-पत्नी अथवा पति (यथास्थिति अनुसार )
-अवयस्क पुत्र
-अविवाहित पुत्री
-पूर्व मृतक बेटे की विधवा और बच्चे
-आश्रित माता-पिता
(अप) ‘‘परिवार’’ से आशय निर्माण श्रमिक के पति/पत्नी (यथास्थिति अनुसार) अवयस्क पुत्र, अविवाहित पुत्री, माता-पिता और मृतक बेटे की विधवा एवं बच्चे सम्मिलित माने जायेगे।
परिभाषित न किए गए है, शब्दों का निर्वचन -उन शब्दों या पदों के संबंध में जो इस योजना में
परिभाषित नहीं किए गए किन्तु अधिनियम/नियम में परिभाषित या प्रयुक्त है, का वही अर्थ होगा जो
अधिनियम/नियम में परिभाषित है।




(3) योजना का विवरणः-
(प) भवन और अन्य संनिर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा की शर्तो का विनियमन) अधिनियम 1996 की धारा 22(1)(क) सपठित राजस्थान नियम 2009 के नियम 57 व 58 के अन्तर्गत निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में मुआवजे के रूप में सहायता दिए जाने हेतु यह योजना लागू होगी। इस योजना का लाभ सभी हिताधिकारी परिचय पत्र धारी निर्माण श्रमिकों या उनके नाम निर्देषित व्यक्तियों अथवा आश्रितांे को, हिताधिकारी का अंषदान नियमित रूप से जमा पाए जाने की स्थिति में प्राप्त हो सकेगा।
(पप) पात्रता-(1) 18 से 60 वर्ष की उम्र के निर्माण श्रमिक इस योजना के लिए पात्र होगें।
(2) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक जिनका धारा 12 के अन्तर्गत मण्डल में पंजीयन हो चुका है और जो अपना अंशदान नियमित रुप से जमा करवा रहे है। हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की समय-सीमा में 3 माह की षिथिलता होगी। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(पपप) उत्तराधिकारी -हिताधिकारी निर्माण श्रमिक द्वारा अधिनियम के अन्तर्गत बने राजस्थान नियमों के तहत नाम निर्देशित किया गया नामिति तथा नामिति नहीं होने की स्थिति में उसका पति/पत्नी (यथास्थिति
अनुसार) तथा इनके नहीं होने पर अवयस्क पुत्र अथवा अविवाहित पुत्रियांॅं, किसी अविवाहित या ऐसे
निर्माण श्रमिक जिसके पति/पत्नी या पुत्र/पुत्री न हो तो उनके पिता/माता को उत्तराधिकारी समझा
जावेगा।
(4) देय सहायता राशि-हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में (मृत्यु या घायल होने की दशा में) निम्नानुसार सहायता राशि दी जावेगीः-
(प) दुर्घटना में मृत्यु होने पर रु0 5,00,000/-
(पप) दुर्घटना में स्थायी पूर्ण अपंगता होने पर रु0 3,00,000/- स्थायी पूर्ण अपंगता से तात्पर्य दुर्घटना में दो आंख या दोनों हाथ या दोनांे पांव के अक्षम होने से है।
(पपप) दुर्घटना में आंशिक स्थायी अपंगता होने पर रु0 1,00,000/- स्थायी आंशिक अपंगता से तात्पर्य एक हाथ या एक पांव अक्षम होने से है।
(पअ) दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने पर रु0 20,000/- तक दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल होने से तात्पर्य हिताधिकारी के कम से कम 5 दिवस तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती रहने से है। गंभीर रुप से घायल होने का निर्धारण मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के आधार पर किया जावेगा।
(अ) दुर्घटना में साधारण रुप से घायल होने पर रु0 5000/- तक साधारण रुप से घायल होने से तात्पर्य 5 दिवस से कम अवधि तक अस्पताल में अन्तरंग रोगी के रुप में भर्ती होने से है।
(अप) निर्माण श्रमिक की सामान्य मृत्यु होने पर 75,000/- नोटः-इस योजना में देय सहायता मुख्यमंत्री सहायता कोष से प्राप्त होने वाली सहायता से अतिरिक्त होगी
अर्थात मुख्यमंत्री सहायता कोष सहायता के साथ साथ इस योजना का लाभ भी देय होगा।
(5) आवेदन और भुगतान की प्रक्रियाः-
(प) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिति/उत्तराधिकारी एवं घायल होने पर स्वयं
हिताधिकारी संबंधित जिला श्रम कार्यालय में आवेदन (संलग्न प्रारुप) करेगा।
(पप) हिताधिकारी निर्माण श्रमिक की मृत्यु होने पर उसके नामिंत/उत्तराधिकारी को 10,000/-रु0 की
अन्त्येष्टि सहायता आवेदन करने की दिनांक से 7 दिवस में दी जावेगी। यह राषि हिताधिकारी के
आश्रित/नामिति को क्षतिपूर्ति के रूप मे दी जाने वाली राषि में से ही देय होगी। मृत्यु के उपरान्त संपन्न
होने वाले सामाजिक रीतिरिवाजो एवं स्थानीय प्रथाओं के प्रति परिवार को जागरूक बनाए जाने को
दृष्टिगत रखते हुए परिवार की परिस्थितियों पर विचार किया जाकर दुर्घटना में मृत्यु की दषा में देय
क्षतिपूर्ति राषि को एफडी मे जमा करवाये जाने के बारे में श्रम विभाग के जिलास्तरीय कार्यालय मे
पदस्थपित उच्चतम अधिकारी द्वारा विचार किया जायेगा।
 मृत्यु की दषा में सहायता राषि जिस आश्रित/नामांकित व्यक्ति को देय है, उसके द्वारा इस आषय का
एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि प्राप्त राषि का उपयोग मृतक हिताधिकारी के सभी आश्रितों के
हितार्थ किया जावेगा।
(पपप) हिताधिकारी के घायल होने पर सहायता राशि हिताधिकारी द्वारा आवेदन करने पर आवेदन की पूर्तियां सही पाए जाने पर 7 दिवस में स्वीकृत कर दी जायेगी।
(पअ) हिताधिकारी की मृत्यु होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन मृत्य की तिथि से अधिकतम एक वर्ष की अवधि में स्वीकार्य होंगे। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(अ) हिताधिकारी द्वारा दुर्घटना में घायल होने की दषा में सहायता प्राप्ति हेतु आवेदन दुर्घटना तिथि या
अस्पताल से डिस्चार्ज होने की तिथि से अधिकतम 6 माह में किया जा सकेगा। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा संषोधित)।
(अप) हिताधिकारी की मृत्यु की दषा में, नियमित अंषदान जमा कराने की निर्धारित एक वर्ष की समय सीमा से 90 दिन तक का विलम्ब होने तक, योजना की अन्य शर्तें पूरी होने पर सहायता दी जा सकेगी। यह शिथिलता भूतलक्षी प्रभाव से अर्थात् योजना प्रारंभ होने की तिथि से, ऐसे मामलों में भी लागू होगी, जिनमें आवेदन अंषदान जमा नहीं होने के कारण अस्वीकृत कर दिये गये हैं अथवा विचाराधीन है। (अधिसूचना दिनांक 21.09.2015 द्वारा जोडा गया)।
(6) सहायता राशि के लिए अपात्रताः- आत्महत्या या मादक द्रव्यों या पदार्थो के सेवन से हुई मृत्यु अथवा अपराध करने के उदेश्य से कानून का उल्लंघन करके एक दूसरे से हुई मारपीट से हुई मृत्यु या घायल होने की स्थिति में सहायता राषि देय नहीं होगी।
(7) सक्षम अधिकारीः- मुआवजा राशि की स्वीकृति के लिये श्रम विभाग के जिला स्तरीय कार्यालय में
पदस्थापित उच्चतम अधिकारी सक्षम अधिकारी होगा।
(8) विसंगति का निराकरणः-योजना में उल्लिखित शर्तो/नियमों के अतिरिक्त यदि कोई विसंगति उत्पन्न होती है तो उस स्थिति में मण्डल सचिव का निर्णय अंतिम होगा।
नोटः-इस योजना के लागू होने की दिनांक से मंडल द्वारा संचालित समूह बीमा (जनश्री बीमा) योजना, दुर्घटना
में (मृत्यु व घायल होने की दशा में ) तत्काल सहायता योजना एवं अत्येष्टि सहायता एवं अनुग्रह भुगतान
योजनाएंे समाप्त हो जावेगी।


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15 Comments

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  2. mera nam bhupendra singh hai.
    mane apne pitaji ka shram vibhag mai daith claim keya tha aaj unki mrutu ko 2sal beet gye hai par abhi tak koi labh nahi meela last mai bataya jata hai ke Jaipur se verification K leye koi aye the or verifacation fail ho gya hai... sab frod hai jab koi aya hi nahi to aap ne verify kha se keya...

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    1. श्रीमानजी यह ब्लॉग राज्य सरकार का नही है यह ब्लॉग राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी के लिए बनाया गया है कृपया संबंधित विभाग में इस हेतु संपर्क करे
      धन्यवाद

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  3. aap ne frod kiya hai aap sab ko bas paisa khana acha lagta hai paise dana nahi...

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  4. मेरे पिताजी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई उसको लगभग एक साल हो ग ऐ हैं । हमने पूरी फाईल भर दी है ओर परे डोकोमेट सब कमपलीट कर आवेदन भर दिए थे।। अभी तक कोई हमको लाभ नही मिला है। कुछ आप हमारी हेलप करो।।।

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  5. Mere jijaji ka accident claim kiya verification bhi ho gaya verification se Ab kitne din lagte he claim Milne me or claim ka status Kahan dekh sakte hain

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  6. माता जी का एक्सीडेंटल क्लेम है पिताजी की मृत्यु पूर्व में हो गई और दोनों बच्चे वयस्क है क्या एक्सीडेंटल क्लेम बच्चों को मिल सकता है

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    1. form main nominee kisko batya gaya hai please contact to ldms offfice of your district

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    2. हाँ नॉमिन्नी आवेदन कर सकते है

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  7. मेरे पिता जी का क्लेम नही आया है

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  8. Great and informative post. Thanks for sharing useful information and better insights. Also check up manav sampada portal all details.

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